बुद्ध तुम महान हो गए
सजावट का सामान हो गए
कभी दीवार पर टंगे गहन ध्यान में,
कभी शो केस पर लेटे बड़े आराम में,
किसी के गले में पड़े हुए
फैशन की पहचान हो गए,
अरे बुद्ध तुम तो, बड़े महान हो गए ।
मांस और मदिरा सब,
तुम्हारे सामने चलता है,
दूसरों का
टकटकी लगाकर देखना खलता है।
प्रेमी की बाहों में पड़ी बालाएं भी,
तुमसे खौफ नहीं खाती,
तुम्हारी मुंदी हुई आँखे ही,
सबको रास आती ।
बिस्तर में लौटती सुबह,
तो कभी रंगीन शाम हो गए,
हे बुद्ध ! तुम तो वाकई बहुत महान हो गए ।