कोई रत्न पहनना चाहिये या नहीं
और वाकई में रत्नों का कोई असर होता भी है या नहीं ये बहुत ही पुराना विवाद रहा है
कुछ लोग रत्न को सिरे से नकार देते हैं वहीं कुछ रत्नों के फल चमत्कारिक से होने की
वकालत करते हैं । ऐसे में एक हम जैसे नौसीखिए बड़ी उलझन में आ जाते हैं । मेरे अपने
विचार में रत्नों का असर होता तो है मगर ये किसी के प्रारब्ध को नहीं बदल सकते फिर
सवाल ये कि फिर ये किस काम के ? बिल्कुल ठीक है अगर हम रत्नों को तार्किक दृष्टि से
समझने की कोशिश करें तो इसका जवाब मिल सकता है ।
रत्न वास्तव में हमारे भीतर सक्रिय
ऊर्जाओं में से किसी ऊर्जा विशेष को बढ़ाने के लिये उपयोग किये जाते हैं । ऐसी ऊर्जाऐं
जो हमें संचालित करती हैं और हमारे व्यक्तित्व निर्माण में अपना योगदान देती हैं और
हमारी शारीरिक क्षमताओं का भी विकास करती हैं । सवाल है ऐसे में कोई रत्न क्या असर
दे सकता है ? तो जवाब है कि रत्न पहनने पर जब आप किसी ऊर्जा विशेष को ताकत देते हैं
तो उससे संबंधित क्रिया में वृद्धि होती है जो आपके व्यक्तित्व में परिवर्तन लाती है
और शारीरिक रूप से भी आपकी संबंधित ऊर्जा द्वारा नियंत्रित क्षमताओं में परिवर्तन लाती
हैं । इसका मतलब ये हुआ कि रत्न प्रारब्ध में कोई हस्तक्षेप नहीं करते वरन् हमारे व्यक्तित्व
में परिवर्तन लाकर हमारे वांछित कार्य संबंधित कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं ।
इसे एक उदाहरण से समझने में आसानी होगी... मान लीजिये किसी व्यक्ति के भीतर मंगल की
ऊर्जा अधिक मात्रा में है और इसी कारण से उसे गुस्सा ज्यादा आता है वो शॉर्ट टेम्पर्ड
नेचर का है अब यहाँ रत्न का असर किस तरह होगा... अगर ऐसे व्यक्ति को मंगल का रत्न पहना
दिया जाए तो उसके गुस्से में इज़ाफा ही होगा और अगर मंगल कुण्डली में किसी बेहद अच्छे
भाव का प्रतिनिधित्व भी करता है तो ऐसे में उसे अन्य प्रयोगों द्वारा कमजोर करना भी
गलत ही होगा तब अगर विपरीत प्रवृत्ति के ग्रह चंद्र का रत्न पहनाकर चंद्र की शांत और
सौम्य करने वाली ऊर्जाओं को बढ़ा दिया जाए तो काम बन सकता है । या अगर किसी के शरीर
में कैल्शियम की कमी है तो उसे मोती पहनाया जा सकता है जो कैल्शियम की मात्रा को बढ़ने
में मदद करता है ।
रत्नों द्वारा प्रारब्ध में परिवर्तन
क्यों संभव नहीं ?
प्रारब्ध किसी का भी हो ये जरूरी
नहीं कि वो सिर्फ उस व्यक्ति विशेष तक ही सीमित हो । हम सभी के प्रारब्ध एक दूसरे से
जुड़े हुए होते हैं जैसे किसी वाहन दुर्घटना के शिकार दो व्यक्तियों का प्रारब्ध उन्हें
एक ही जगह ले आता है और फिर उनका इलाज करने वाले डॉक्टर का प्रारब्ध, उनके क्षतिग्रस्त
हो चुके वाहनों को ठीक करने वाले का प्रारब्ध आदि आदि । अब यहाँ रत्नों के माध्यम से
प्रारब्ध को बदलने का दावा करने वाले विद्वान किस तरह गलत सिद्ध होते हैं । माना कि
राम और श्याम दोनों का ये प्रारब्ध है कि आज दोपहर ३ बजे उनका आपस में ऐक्सीडेंट होना
है । किसी विद्वान ने पहले ही राम की कुण्डली देखकर इस घटना का पूर्वानुमान लगाया और
उपचार स्वरूप एक रत्न पहना दिया । लेकिन फिर भी वो दुर्घटना को टाल नहीं सके कारण साफ
था श्याम ने कोई उपचार नहीं किया था और अगर किया भी होता तो उस डॉक्टर की फीस जो उसका
प्रारब्ध थी और उस मैकेनिक का प्रारब्ध और भी उन सभी लोगो का प्रारब्ध जो इस दुर्घटना
से जुड़ा हुआ था बदल पाना संभव नहीं हो सकता ।
इस तरह हम देखते हैं कि रत्नों
का प्रयोग किया तो जा सकता है लेकिन उनके कार्य का अपना सीमित क्षेत्र है । और इन ऊर्जाओं
में परिवर्तन लाने के लिये रत्न ही एकमात्र उपाय नहीं हैं बल्कि और भी उपाय हैं जैसे
रूद्राक्ष धारण करना, मंत्र जप, ऊर्जाओं से संबंधित पेड़ पौधों की जड़ों का प्रयोग करना,
ऊर्जाओं से संबंधित रंग की बोतलों में रखे पानी का प्रयोग करना, औरा हीलिंग, आदि अन्य
कई और भी उपाय हो सकते हैं जो अभी मेरी जानकारी में भी नहीं हैं ।
उपरोक्त लिखित सारी बातें मेरी
सीमित बुद्धि की उपज हैं अतः किसी भी गलती के लिये मैं स्वयं उत्तरदायी हूँ । और अपनी
गलतियों के लिये क्षमा तथा सुधार हेतु सुझाव का प्रार्थी हूँ ।
धन्यवाद !