बुधवार, 25 दिसंबर 2019

बदलते रहे


सालों साल हर साल बदलते रहे
कभी हाल तो कभी मकाम बदलते रहे
नहीं बदले तो सिर्फ हम ही न बदले
बाकी सब सरेआम बदलते रहे ।

कुछ ख्वाहिशों की कीमत इतनी चुकानी पड़ी
पूरे साल भर ही हम, नए नए मकाँ बदलते रहे ।

तुम्हें तो मालूम थी मेरी इफ़्फ़त ए नीयत
मग़र फिर भी, तुम इल्ज़ाम बदलते रहे ।

मेरी इल्तिज़ा थी कि मोहब्बत न बँटें कभी
और वो माशूको के नाम बदलते रहे ।

दोस्तों की महफ़िल का ये मंजर अजीब था
भीतर के शक बाहर के ज़ाम बदलते रहे ।

बातों ही बातों में उनका ज़िक्र न आ जाए कहीं
मिरे शातिर अल्फ़ाज़, बातों का सामान बदलते रहे ।


गुरुवार, 20 जून 2019

रिश्ते

रिश्ते प्लास्टिक के तिरपाल की तरह होते हैं जो आपकी मूसलाधार बारिश से सुरक्षा करते हैं लेकिन वक्त की धूप के साथ पलते जाते हैं और फैल जाते है एक नज़र देखने में लगता है कि ये बृहद हो रहे हैं जबकि इनका आपसी तालमेल कमजोर होता जाता है और फिर अपने अपने अहंकार के मौसम की मार पड़ते पड़ते अंततः फट जाते हैं । और फिर कभी पहले की तरह नहीं हो पाते...

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय,
टूटे पे फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ी जाय ।