सालों साल हर साल बदलते रहे
कभी हाल तो कभी मकाम बदलते रहे
नहीं बदले तो सिर्फ हम ही न बदले
बाकी सब सरेआम बदलते रहे ।
कुछ ख्वाहिशों की कीमत इतनी चुकानी
पड़ी
पूरे साल भर ही हम, नए नए मकाँ
बदलते रहे ।
तुम्हें तो मालूम थी मेरी इफ़्फ़त
ए नीयत
मग़र फिर भी, तुम इल्ज़ाम बदलते
रहे ।
मेरी इल्तिज़ा थी कि मोहब्बत न
बँटें कभी
और वो माशूको के नाम बदलते रहे
।
दोस्तों की महफ़िल का ये मंजर
अजीब था
भीतर के शक बाहर के ज़ाम बदलते
रहे ।
बातों ही बातों में उनका ज़िक्र
न आ जाए कहीं
मिरे शातिर अल्फ़ाज़, बातों का
सामान बदलते रहे ।
वाह वाह वाह
जवाब देंहटाएं