मंगलवार, 6 जुलाई 2021

आज की ताज़ा खबर

हर सुबह अखबार में आने वाली बलात्कार की खबर अब बहुत आम हो गई है, हमें अब ऐसी खबरों से बहुत फर्क नहीं पड़ता ये तो रूटीन सा हो गया है । अब कभी कभार जब कोई "जघन्य हत्या" भी बलात्कार के साथ जुड़ती है तो आंदोलन हो जाता है सभी की उंगलियाँ की बोर्ड पर कई मीलों का सफर करती हैं और फिर धीरे धीरे.....धीरे धीरे शांत हो जाती हैं, शायद थक जाती हैं या ऊब जाती हैं और फिर सब पहले जैसा हो जाता है । मगर ये भी अब बहुत सुनने-पढ़ने को मिल रहा है । शायद ये खबर भी अब आम हो जाएगी कुछ समय बाद ।
हमारे सरकारी आँकड़े कहते हैं कि हर 15 मिनट में हमारे देश में एक बलात्कार होता है, ध्यान दीजिए ये सरकारी आँकड़ा है यदि उन्हें भी शामिल कर लिया जाए जो इस आँकड़े में शामिल नहीं हैं तो शायद ये अंतर 5 मिनट का भी न रहे । सरकारी के हिसाब से भी देखें तो आज जब सुबह 7 बजे मैं उठा हूँ  तब से अभी रात के 9 बजे तक 14 घंटे में कोई 55 लड़कियों के बलात्कार हो गए होंगे और अभी लिखते लिखते ही कहीं कोई 56वीं का बलात्कार हो रहा होगा, अभी मैं करीब 11 बजे तक जागूँगा, तब तक करीब 64 बलात्कार हो जाएंगे, फिर मैं सो जाऊँगा, उसके बाद तो मुझे अपनी भी सुध नहीं रहती, फिर देश दुनिया की क्या कहूँ! सुबह 7 बजे जो बलात्कार मेरे उठने के साथ हुआ होगा क्या उसकी चीख और सिसकियाँ अभी थम गई होंगी ! शायद नहीं, मगर चूंकि हम नहीं सुन पा रहे हैं, तो हमें इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है । 
इसका एक पक्ष और भी है जिसे हमारे यहाँ शायद नज़रअंदाज ही किया जा रहा है । हर 15 मिनट में मेरे देश में हमारे ही बीच से कम से कम 1 इंसान बलात्कारी में तब्दील हों जाता है । और ये प्रक्रिया सतत जारी है मगर इस पर अंकुश लगाने में हमारी शिक्षा, हमारा कानून, हमारी सरकार और हमारी संस्कृति भी नाकाम साबित हुई है । आखिर ऐसा क्यों है कि इस गम्भीर विषय पर कोई काम होता हुआ नहीं दिखता। हमारा समाज बेटियों को सही गलत बताने में बिल्कुल देर नहीं करता मगर बेटों को सही शिक्षा देने में समर्थ नहीं है । लाड़ला किस तरह की मानसिकता में ढ़लता जा रहा है इसकी माँ बाप को खबर ही नहीं होती । आज के समय में अभिभावकों का अपने बच्चों के साथ नियमित चर्चा करना बेहद जरूरी हो गया है । कानून कई बन चुके हैं और आगे भी संशोधित और निर्मित होते रहेंगे मगर जब तक मूल समस्या का उपचार नहीं किया जाएगा तब तक ये आँकड़े थमेंगे नहीं । 

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