जैसे जैसे सामाजिक पारिवारिक सहयोग की व्यवस्था ध्वस्त होती जा रही है और व्यक्ति की महत्वाकांक्षायें बढ़ रही हैं वैसे वैसे ही अवसाद और अन्य समस्याएं अपना स्थान मन में स्थायी करती जा रही हैं । हर कोई अवसाद से ग्रस्त है । जब कहीं से कोई रास्ता नहीं मिलता तब व्यक्ति पीर फकीरों और ज्योतिषियों से सलाह कर भविष्य के लिए आश्वस्त होना चाहता है, मगर कई बार या तो ठगा जाता है या बड़े चढ़े दावों के सत्य साबित न होने पर और भी टूट जाता है । सबसे पहले तो आपको ये समझना चाहिए कि किसी ज्योतिषी की सीमा क्या है ! कोई भी ज्योतिषी आपके प्रारब्ध को बदल नहीं सकता अपितु एक दृष्टि देता है आपके भविष्य के सम्बंध में, कि आपको किस रास्ते का चयन करना फायदेमंद हो सकता है और कौन सा रास्ता आपके लिए उचित नहीं होगा । जप-तप अनुष्ठान और महंगे रत्नादि से वास्तव में कोई चमत्कार नहीं होगा मगर आपकी नकारात्मकता कुछ कम हो सकती है और सकारात्मक दिशा में आपको बढ़ते रहने का साहस मिलेगा, मानसिक सम्बल मिलेगा (ज्योतिषी उपायों की विस्तृत चर्चा अन्य पोस्ट में करेंगे)।बाजार में आज के समय मे सही ज्योतिषी जो आपको उचित सलाह दे सके, बहुत कम हैं । जो कर्मकाण्ड वाले हैं, वे आपको कर्मकाण्ड की सलाह देंगे, जो रत्नों के विक्रेता हैं वो रत्न धारण करने की सलाह देंगे । मगर समझिए हमेशा सिर दर्द होने पर गोली खाना जरूरी नहीं कई बार सिर्फ बाम ही काम कर जाता है और कई बार समस्या की जड़ पेट हो तो उसका उपचार करना पड़ता है । कब क्या उचित होगा इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले तो आप सही निष्पक्ष व अनुभवी ज्योतिषी की खोज करें व उनसे सम्पर्क करें। दूसरा आपके प्रश्न बिल्कुल स्पष्ट होने चाहिए और ज्योतिषी से भी तर्क सहित स्पष्ट उत्तर के लिए कहें । जिस तरह आप गम्भीर बीमारी होने पर डॉक्टर्स से 2nd ओपिनियन लेते हैं उसी तरह कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले किसी अन्य अनुभवी ज्योतिषी से भी 2nd ओपीनियन ले लें इसमें कोई बुराई नहीं है । ज्योतिष एक गणित भी है, विज्ञान भी है और कला भी है, इसमें ज्योतिषी के अपने अनुभव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।
और अंतिम बात की यदि आपके 2nd ओपिनियन के बाद भी ज्योतिषियों के जवाब आपके मनोनुकूल नहीं हैं तो भी निराश होने की बजाय इसे प्रारब्ध मानकर स्वीकार करें और नई उपयुक्त दिशा में प्रयास करें । यही ज्योतिष का काम भी है और उपयोगिता भी ।
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