सोमवार, 5 मार्च 2012

Gumnaam Tesu


सड़क के किनारे भीड़ में तन्हा खड़ा "टेसू" । मायूस सा फूलों से लदा हुआ, बस इस इंतज़ार में कि कोई तो आये और माँग ले एक फूलों कि बौछार, कि कोई तो आये और माँग ले रंगों कि फुहार, कोई तो आये समेटने को फैले हुए ये फूल हजार, मगर नहीं... कोई नहीं आता... कोई भी नहीं आता करीब, सभी गुज़र जाते हैं ज़रा दूर से ही, और ये बूढ़ा पेड़ खो जाता है पुरानी यादों में जब फाल्गुन का महीना लगते ही आ जाते थे सभी... बच्चे और बूढ़े भी, और चुन लेते थे फूल कई सारे... और चेहरों पर बड़ी ही रंगीन सी मुस्कुराहट लिए लौट जाते थे अपने घरों को... फिर ये सिलसिला खत्म होता गया... और वक्त के साथ... टेसू गुमनाम हो गया... कभी निकलो उस सड़क से तो गौर करना... टेसू अब भी बूढ़ी आँखें उसी सड़क पर टिकाए खड़ा है, इंतज़ार कर रहा है...।    

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